हरिद्वार: धर्मनगरी हरिद्वार में इंसानी आबादी के आसपास जंगली हाथियों की बढ़ती आवाजाही से लोग दहशत में हैं। सोमवार सुबह मिस्सरपुर गांव के पास जंगल से भटके दो हाथी अचानक सड़क पर आ गए। उन्होंने ट्रैफिक रोक दिया और काफी देर तक सड़क पर घूमते रहे। इसी दौरान उन्होंने एक स्कूल बस को भी दोनों ओर से घेर लिया। सौभाग्य से उस समय बस में बच्चे सवार नहीं थे और एक संभावित बड़ा हादसा टल गया। हाथियों ने सड़क किनारे मूंगफली की दुकान के छप्पर को भी नुकसान पहुंचाया।
लोगों में अफरातफरी, वनकर्मी देर से पहुंचे
हाथियों की इस अप्रत्याशित मौजूदगी से आसपास के लोगों में बहदशती का माहौल बन गया। लोग सुरक्षित जगहों पर भागने लगे। थोड़ी देर बाद हाथी सड़क छोड़कर जंगल की ओर वापस चले गए। स्थानीय लोगों ने आरोप लगाया कि घटना के दौरान वन विभाग का कोई कर्मचारी मौके पर नहीं दिखाई दिया।
“हर दिन बढ़ रहा खतरा” — स्थानीय निवासी
मिस्सरपुर निवासी सुनील जायसवाल ने कहा कि इलाके में अक्सर हाथियों का आना सामान्य हो गया है।
“खेतों को नुकसान हो रहा है, लोग बाहर निकलने से डर रहे हैं। इससे पहले कि कोई बड़ी अनहोनी हो, वन विभाग को सख्त कदम उठाने चाहिए।”
वन विभाग की सफाई: टीम पहुंची थी मौके पर
वन रेंज अधिकारी शैलेंद्र सिंह नेगी ने बताया कि सूचना मिलते ही टीम मौके पर पहुंची और हाथियों को जंगल की ओर खदेड़ दिया गया। उन्होंने स्वीकार किया कि वन्यजीव लगातार आबादी वाले इलाकों के करीब देखे जा रहे हैं, जिससे मानव-वन्यजीव संघर्ष की आशंका बढ़ गई है। इसलिए वन्यजीव बाहुल्य क्षेत्रों में गश्त तेज कर दी गई है।
“हाथियों की मूवमेंट पर लगातार नजर” — DFO
डीएफओ हरिद्वार स्वप्निल ने कहा:
“गश्ती टीमें हर समय एक्टिव हैं। जहां से भी हाथियों के दिखने की सूचना मिलती है, तुरंत जाकर उन्हें जंगल की ओर खदेड़ा जाता है।”
बढ़ रहा मानव-वन्यजीव संघर्ष
हरिद्वार में राजाजी नेशनल पार्क से सटे कई इलाकों में हाथियों की आवाजाही सामान्य होती जा रही है।
- पथरी थाना क्षेत्र में हाथियों की लगातार दस्तक
- 25 अगस्त को कनखल क्षेत्र की जगदीशपुर कॉलोनी में हाथियों का झुंड घुसा
- इस दौरान एक हाथी कीचड़ में फिसलकर गिर गया, जिसका वीडियो खूब वायरल हुआ था
स्थानीय लोग मांग कर रहे हैं कि वन विभाग और प्रशासन मिलकर सुरक्षा उपाय मजबूत करें, ताकि बच्चों और ग्रामीणों की जान को कोई खतरा न रहे।
यह घटना एक बार फिर इस चुनौती को उजागर करती है कि वन्यजीवों और मनुष्यों का संघर्ष लगातार बढ़ रहा है, जिसे नियंत्रित करना अब बेहद जरूरी हो गया है।







