देहरादून: उत्तराखंड में तापमान गिरते ही बिजली उत्पादन पर गंभीर असर पड़ने लगा है। यूजेवीएनएल के कई विद्युत केंद्र निर्धारित क्षमता से कम बिजली पैदा कर रहे हैं, जिससे प्रदेश में नवम्बर महीने में ही बिजली संकट गहरा गया है। उत्पादन में गिरावट और बढ़ती मांग के बीच अंतर को देखते हुए ऊर्जा निगम पहली बार 5% तक अतिरिक्त बिजली बाजार से खरीदने की तैयारी कर रहा है।
उत्पादन 15–20% तक घटा
ऊर्जा विभाग की रिपोर्ट बताती है कि ठंड बढ़ने के साथ कई यूनिटों में तकनीकी दिक्कतें और कम तापमान के कारण प्रक्रिया धीमी पड़ गई है।
- इस सप्ताह उत्पादन 15–20% तक कम रहा।
- ओबरा एल तथा अन्य केंद्रों में आउटपुट निर्धारित क्षमता तक नहीं पहुंच पा रहा।
- उत्पादन घटने से ऊर्जा प्रबंधन पर दबाव बढ़ गया है।
बिजली की मांग में 20% तक उछाल
सर्दी बढ़ते ही गीजर, हीटर और अन्य इलेक्ट्रॉनिक उपकरणों के उपयोग में तेजी आई है, जिससे प्रदेश में बिजली की मांग अचानक 20% तक बढ़ गई।
इस कारण कई जिलों में अतिरिक्त लोड मैनेजमेंट और निर्धारित समय से अधिक कटौती करनी पड़ी है।
विभाग का कहना है कि यदि उत्पादन सामान्य नहीं हुआ तो आने वाले दिनों में और अधिक महंगी बाजार बिजली खरीदनी पड़ सकती है, जिससे निगम पर वित्तीय बोझ बढ़ेगा और भविष्य में उपभोक्ताओं पर दर बढ़ोतरी का असर नजर आ सकता है।
सर्दियों में बढ़ जाती है मांग — 20 लाख यूनिट की कमी
ऊर्जा विभाग के ताजा आंकड़ों के अनुसार:
- सर्दियों में प्रदेश की बिजली मांग 5.5 करोड़ यूनिट तक पहुंच जाती है।
- वर्तमान मांग लगभग 4 करोड़ यूनिट है।
- इसमें 20 लाख यूनिट की कमी बनी हुई है।
- यूजेवीएनएल का उत्पादन घटकर 90 लाख यूनिट रह गया है, जबकि सामान्य दिनों में यह 2 करोड़ यूनिट से अधिक होता है।
- केंद्रीय पूल से राज्य को रोजाना 1.3 करोड़ यूनिट सप्लाई मिल रही है।
उत्पादन और मांग के बीच यह अंतर सप्लाई बनाए रखने में मुख्य चुनौती है।
ऊर्जा सचिव मीनाक्षी सुंदरम का बयान
ऊर्जा सचिव मीनाक्षी सुंदरम ने बताया कि उत्पादन कम होने का मुख्य कारण ठंड से उत्पन्न तकनीकी समस्याएं हैं। विभाग सभी यूनिटों की आपात मरम्मत और रखरखाव कार्य तेजी से करवा रहा है। सप्लाई में रुकावट न आए, इसके लिए वैकल्पिक स्रोतों से बिजली खरीदने की प्रक्रिया शुरू कर दी गई है।
उन्होंने यह भी कहा कि—
- उत्तराखंड देश का पहला राज्य है जिसने जियोथर्मल एनर्जी पॉलिसी बनाई है।
- केंद्र सरकार भी इसी नीति को आधार बनाकर आगे काम कर रही है।
- लक्ष्य है कि ऐसे ग्रीन ऊर्जा स्रोत विकसित किए जाएं जो पर्यावरण के अनुकूल होने के साथ ऊर्जा का स्थायी समाधान प्रदान करें।







