उत्तराखंड की राजनीति और राज्य आंदोलन से जुड़ा एक बड़ा क्षति-समाचार सामने आया है। उत्तराखंड क्रांति दल (UKD) के वरिष्ठ नेता, पूर्व कैबिनेट मंत्री और राज्य आंदोलन के प्रखर चेहरा दिवाकर भट्ट का सोमवार शाम निधन हो गया। लंबे समय से बीमार चल रहे भट्ट ने हरिद्वार के तरुण हिमालय स्थित अपने आवास पर शाम 4:30 बजे अंतिम सांस ली। देहरादून के इंद्रेश अस्पताल में डॉक्टरों द्वारा इलाज में असमर्थता जताने के बाद परिजन उन्हें वापस हरिद्वार लेकर आए थे, लेकिन उनकी स्थिति में सुधार नहीं हो सका। उनके बेटे ललित भट्ट ने इस खबर की पुष्टि की।
निधन की सूचना फैलते ही समर्थकों में गहरा शोक छा गया और लोगों की भीड़ उनके निवास पर जुटने लगी। राजनीतिक और सामाजिक जगत के लोग उन्हें श्रद्धांजलि देने पहुंच रहे हैं।
दिल्ली की सड़कों पर गूंजी उत्तराखंड की आवाज
उत्तराखंड राज्य आंदोलन को दिल्ली की सड़क तक ले जाने में दिवाकर भट्ट का महत्वपूर्ण योगदान रहा।
- 1968 में ऋषिबल्लभ सुंदरियाल के नेतृत्व में दिल्ली में हुई पहली रैली में युवा दिवाकर भट्ट शामिल हुए।
- 1972 में सांसद त्रेपन सिंह नेगी की रैली में भी मौजूद रहे।
- 1977 में वे उत्तराखंड युवा मोर्चा के अध्यक्ष बने।
- 1978 की बद्रीनाथ–दिल्ली ऐतिहासिक पदयात्रा में अग्रणी भूमिका निभाई, जिसके बाद आंदोलनकारियों के साथ तिहाड़ जेल में भी बंद किए गए।
सांस्कृतिक और शैक्षिक चेतना निर्माण में योगदान
आईटीआई की पढ़ाई के बाद दिवाकर भट्ट ने हरिद्वार के BHEL में कर्मचारी नेता के रूप में अपनी पहचान बनाई।
- 1970 में ‘तरुण हिमालय’ संस्था बनाकर शिक्षा व सांस्कृतिक चेतना के प्रसार का कार्य शुरू किया।
- 1971 के गढ़वाल विश्वविद्यालय आंदोलन और
- 1978 के पंतनगर विश्वविद्यालय कांड
में सक्रिय भागीदारी निभाई।
उत्तराखंड क्रांति दल में ऐतिहासिक भूमिका
1979 में UKD की स्थापना में वे संस्थापक उपाध्यक्ष रहे।
1980 और 1990 के दशक के कई बड़े आंदोलनों में उनकी निर्णायक भूमिका रही—
- कुमाऊं–गढ़वाल मंडल घेराव
- उत्तराखंड बंद
- 1987 की दिल्ली रैली
- 1988 का वन अधिनियम विरोध आंदोलन
1994 के राज्य आंदोलन में वे सबसे प्रमुख चेहरों में शामिल रहे। आंदोलन कमजोर पड़ने पर उन्होंने—
- नवंबर 1995 में श्रीयंत्र टापू,
- दिसंबर 1995 में खैट पर्वत
पर आमरण अनशन किया, जिसने आंदोलन को नई ऊर्जा दी।
राजनीति में भी मजबूत पकड़
आंदोलन के साथ राजनीति में भी भट्ट का दबदबा रहा।
- 1982–1996: तीन बार कीर्तिनगर ब्लॉक प्रमुख
- 2002: देवप्रयाग से UKD प्रत्याशी (हार)
- 2007: विधायक और कैबिनेट मंत्री (शहरी विकास विभाग)
- 2012: विधानसभा चुनाव (हार)
- 2017: निर्दलीय चुनाव (हार) व UKD केंद्रीय अध्यक्ष चुने गए
- 2022: UKD प्रत्याशी, लेकिन हार
UKD का संघर्षशील स्तंभ खो गया
UKD केंद्रीय मीडिया प्रभारी किरन रावत कश्यप ने कहा—
“दिवाकर भट्ट UKD के संस्थापक नेताओं में थे। राज्य आंदोलन के दौरान उन्हें उनकी तेज-तर्रार नेतृत्व क्षमता के कारण ‘फील्ड मार्शल’ की उपाधि मिली। आज दल ने अपना एक समर्पित योद्धा खो दिया है।”
मुख्यमंत्री धामी ने व्यक्त किया शोक
मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने शोक व्यक्त करते हुए कहा—
“दिवाकर भट्ट का निधन अत्यंत दुखद है। राज्य निर्माण आंदोलन और जनसेवा के क्षेत्र में उनका योगदान अविस्मरणीय रहेगा। ईश्वर दिवंगत आत्मा को शांति और परिजनों को धैर्य प्रदान करें।”
अंतिम संस्कार
दिवाकर भट्ट का अंतिम संस्कार 26 नवंबर को हरिद्वार के खड़खड़ी श्मशान घाट में किया जाएगा।
दिवाकर भट्ट के निधन से उत्तराखंड ने एक ऐसा संघर्षशील, निडर और समर्पित नेता खो दिया है, जिसने आंदोलन, संस्कृति, शिक्षा और राजनीति—हर क्षेत्र में अपनी अमिट छाप छोड़ी।







