चमोली जिले के ज्योतिर्मठ स्थित नरसिंह मंदिर में आद्य गुरु शंकराचार्य की पवित्र गद्दी वैदिक मंत्रोच्चार और विधि-विधान के साथ शीतकाल के लिए विराजित हो गई है। अब आगामी छह माह तक श्रद्धालु नरसिंह मंदिर ज्योतिर्मठ में ही शंकराचार्य गद्दी के दर्शन कर सकेंगे। परंपरा के अनुसार भगवान श्री बदरी विशाल के कपाट खुलने पर गद्दी बदरीनाथ धाम में प्रतिष्ठित रहती है, जबकि कपाट बंद होने के बाद यह गद्दी नरसिंह मंदिर स्थित पौराणिक मठागण में विराजमान होती है। यह परंपरा सदियों से अनवरत चली आ रही है।
गुरुवार प्रातः योग-ध्यान बदरी मंदिर पांडुकेश्वर में आद्य गुरु शंकराचार्य गद्दी की विधिवत पूजा-अर्चना के बाद डोली को ज्योतिर्मठ के लिए रवाना किया गया। इस दौरान सैकड़ों श्रद्धालुओं ने गद्दी के दर्शन कर पूजा-अर्चना की। बदरीनाथ धाम के मुख्य पुजारी रावल अमरनाथ नंबूदरी की अगुवाई में शंकराचार्य गद्दी को भव्य यात्रा के साथ ज्योतिर्मठ के नरसिंह मंदिर स्थित मठ आंगण परिसर में लाया गया। यहां श्रद्धालुओं ने फूलों की वर्षा कर आदि गुरु शंकराचार्य जी की पवित्र गद्दी सहित बदरीनाथ धाम के मुख्य पुजारी, धर्माधिकारी और वेदपाठी गणों का भव्य स्वागत किया।
पूजा-अर्चना के उपरांत आदि गुरु शंकराचार्य जी की गद्दी को ज्योतिर्मठ के नरसिंह मंदिर के समीप स्थित पौराणिक मठ शंकराचार्य गद्दीस्थल में विधिवत विराजित किया गया। शीतकाल के दौरान जहां भगवान श्री हरि नारायण प्रभु अपने दर्शन योग-ध्यान बदरी मंदिर पांडुकेश्वर एवं ज्योतिर्मठ नरसिंह मंदिर में देंगे, वहीं शंकराचार्य गद्दी के दर्शन श्रद्धालुओं को ज्योतिर्मठ के नरसिंह मंदिर में ही होंगे।
इस अवसर पर धर्माधिकारी राधा कृष्ण थपलियाल, बदरीनाथ-केदारनाथ मंदिर समिति (बीकेटीसी) के पदाधिकारी, वेदपाठी गण, वेद-वेदांग संस्कृत महाविद्यालय के आचार्यगण, नगर क्षेत्र के विभिन्न विद्यालयों के स्कूली बच्चे तथा सैकड़ों श्रद्धालु उपस्थित रहे। इसके साथ ही सूबे की चारधाम यात्रा 2025 का विधिवत समापन भी हो गया है।
गौरतलब है कि श्री बदरीनाथ जी के बद्रीश पंचायत में अग्रज देवता उद्धव जी और देवताओं के खजांची कुबेर जी बुधवार को पांडु नगरी पांडुकेश्वर में अपनी शीतकालीन गद्दी पर विराजमान हो गए हैं। भू-बैकुंठ नगरी श्री बदरीनाथ धाम के कपाट मंगलम (बंद) होने के बाद भगवान श्री बदरी विशाल जी के बालसखा उद्धव जी योग-ध्यान बदरी मंदिर में और कुबेर जी अपने मूल मंदिर में विराजित हुए हैं। वहीं आद्य गुरु शंकराचार्य की पवित्र गद्दी गुरुवार को ज्योतिर्मठ स्थित पौराणिक नरसिंह मंदिर पहुंची।
शीतकाल के दौरान अब यही स्थल बदरीनाथ धाम से जुड़ी धार्मिक गतिविधियों और दर्शन का प्रमुख केंद्र बने रहेंगे, जहां श्रद्धालुओं की निरंतर आवाजाही बनी रहेगी।







