नैनीताल: उत्तराखंड हाईकोर्ट ने प्राथमिक विद्यालयों में सहायक अध्यापक पदों के लिए आवेदन करने वाले उन अभ्यर्थियों को राहत देने से इनकार कर दिया है, जो अभी भी दो वर्षीय डीएलएड (डिप्लोमा इन एलीमेंट्री एजुकेशन) कोर्स कर रहे हैं। ऐसे अभ्यर्थियों ने आवेदन जमा करने की अंतिम तिथि बढ़ाने की मांग की थी, क्योंकि उनका परीक्षा परिणाम दिसंबर 2025 में आने की संभावना थी।
हाईकोर्ट ने स्पष्ट किया कि विज्ञापन में तय की गई अंतिम तिथि तक सभी आवश्यक शैक्षणिक और प्रशिक्षण योग्यताएं पूरी होना अनिवार्य है, और इस प्रक्रिया में न्यायालय का हस्तक्षेप चयन प्रक्रिया को बाधित करेगा।
चंपावत और पिथौरागढ़ में निकली थी भर्ती
उत्तराखंड के चंपावत और पिथौरागढ़ जिलों के जिला शिक्षा अधिकारी (प्रारंभिक) द्वारा सरकारी प्राथमिक विद्यालयों में सहायक अध्यापक पदों पर भर्ती के लिए विज्ञापन जारी किए गए थे। विज्ञापन के अनुसार अभ्यर्थियों के पास—
- स्नातक की डिग्री
- एनसीटीई से मान्यता प्राप्त संस्थान से दो वर्षीय डीएलएड, चार वर्षीय बीएलएड या दो वर्षीय डीएड होना अनिवार्य है।
चंपावत जिले के लिए आवेदन जमा करने की अंतिम तिथि 28 नवंबर 2025, जबकि पिथौरागढ़ के लिए 30 नवंबर 2025 निर्धारित की गई है।
अभ्यर्थियों ने 15 दिन की अतिरिक्त मोहलत मांगी
याचिकाकर्ता भास्कर मिश्रा, पंकज नौटियाल सहित अन्य अभ्यर्थियों ने हाईकोर्ट में याचिका दायर कर विज्ञापन की शर्तों में छूट देने और आवेदन करने के लिए 15 दिन का अतिरिक्त समय देने की मांग की थी। साथ ही उन्होंने उत्तराखंड शिक्षा बोर्ड रामनगर को उनकी अंतिम मूल्यांकन परीक्षा जल्द कराने और परिणाम शीघ्र घोषित करने के निर्देश देने की भी प्रार्थना की थी।
हाईकोर्ट का सख्त रुख
मामले की सुनवाई के दौरान न्यायमूर्ति मनोज कुमार तिवारी ने कहा कि आवेदन की अंतिम तिथि निर्धारित करना नियोक्ता का विशेषाधिकार है। न्यायालय ने यह भी कहा कि यदि समय सीमा बढ़ाई जाती है तो अन्य उम्मीदवार भी इसी तरह की राहत मांग सकते हैं, जिससे यह प्रक्रिया अनंत हो जाएगी।
सुप्रीम कोर्ट के फैसले का हवाला
हाईकोर्ट ने अपने निर्णय में अशोक कुमार शर्मा बनाम चंद्र शेखर (1997) मामले में सुप्रीम कोर्ट के फैसले का उल्लेख किया। इस फैसले में स्पष्ट रूप से कहा गया है कि किसी भी पद के लिए पात्रता का आकलन केवल आवेदन की अंतिम तिथि के आधार पर ही किया जाएगा, और जो अभ्यर्थी उस तिथि के बाद योग्यता प्राप्त करता है, उस पर विचार नहीं किया जा सकता।
कोर्स कर लेना पात्रता नहीं, डिप्लोमा मिलना जरूरी
हाईकोर्ट ने यह भी स्पष्ट किया कि सार्वजनिक रोजगार पर विचार का अधिकार केवल उन्हीं व्यक्तियों तक सीमित है, जो भर्ती नियमों के अनुसार सभी पात्रता शर्तें पूरी करते हों। केवल डीएलएड कोर्स कर लेने से अभ्यर्थी पात्र नहीं माने जा सकते, वे तभी पात्र होंगे जब उन्हें उत्तीर्ण होने का प्रमाण पत्र या डिप्लोमा विधिवत प्राप्त हो जाएगा।
इन सभी आधारों पर उत्तराखंड हाईकोर्ट ने याचिकाकर्ताओं की मांग को अस्वीकार करते हुए उनकी सभी रिट याचिकाएं खारिज कर दीं।







