रुद्रप्रयाग:मानसून काल में व्यापक रूप से क्षतिग्रस्त हुए जवाड़ी बाईपास का जिलाधिकारी रुद्रप्रयाग प्रतीक जैन ने विस्तृत स्थलीय निरीक्षण किया। इस दौरान टीएचडीसी (THDC) की विशेषज्ञ सर्वे टीम भी मौके पर मौजूद रही। निरीक्षण में भू-धंसाव से प्रभावित हिस्सों, संभावित सिंकिंग जोन, रॉकी स्ट्रक्चर, पुरानी जलधाराओं, कटाव क्षेत्रों तथा रॉक एनालिसिस से जुड़े विभिन्न बिंदुओं का बारीकी से परीक्षण किया गया।
जोखिम भरा बना जवाड़ी बाईपास
निरीक्षण के दौरान जिलाधिकारी प्रतीक जैन ने कहा कि जवाड़ी बाईपास जनपद रुद्रप्रयाग के लिए अत्यंत महत्वपूर्ण राजमार्ग है। केदारनाथ यात्रा सीजन के समय यह मार्ग यातायात व्यवस्था को सुचारू बनाए रखने में अहम भूमिका निभाता है।
लेकिन इस वर्ष की आपदा के कारण बाईपास को भारी क्षति पहुंची है। करीब 500 मीटर लंबा क्षेत्र भू-धंसाव, भू-स्खलन और सिंकिंग के गंभीर जोखिम की जद में है। ऐसे में इस संपूर्ण सड़क मार्ग का तकनीकी दृष्टि से अध्ययन कर उपयुक्त सुरक्षा एवं प्रोटेक्शन कार्य किया जाना आवश्यक है।
मार्ग पर किए जाएंगे प्रोटेक्शन कार्य
जिलाधिकारी ने बताया कि इस क्षेत्र में कुछ पुरानी जलधाराएं मौजूद हैं, जो भूमि को भीतर से खोखला कर सिंकिंग जैसी स्थिति उत्पन्न करती हैं। वहीं अलकनंदा नदी के किनारे पहाड़ी के तल हिस्से में निरंतर कटाव वर्षा काल में अधिक बढ़ जाता है।
इन सभी भू-वैज्ञानिक परिस्थितियों को देखते हुए उन्होंने स्पष्ट किया कि सड़क का पुनर्निर्माण केवल सामान्य मरम्मत से संभव नहीं है, बल्कि वैज्ञानिक विश्लेषण और रॉक एनालिसिस आधारित विशेष प्रोटेक्शन कार्य किए जाएंगे, ताकि भविष्य में मार्ग को सुरक्षित और स्थायी बनाया जा सके।
रिपेयर और पुनर्निर्माण कार्य
जिलाधिकारी ने कहा कि टीएचडीसी द्वारा इस मार्ग का सर्वे कर विस्तृत परियोजना रिपोर्ट (डीपीआर) तैयार की जा रही है। आगामी 15 दिसंबर तक यह रिपोर्ट जिलाधिकारी को सौंपी जाएगी। इसके बाद एनएच एवं अन्य संबंधित अभियंत्रण एजेंसियों द्वारा डीपीआर की तकनीकी जांच कर भारत सरकार को प्रेषित किया जाएगा।
डीपीआर स्वीकृत होने के पश्चात एनएचएआई द्वारा सड़क मार्ग के स्थायी रिपेयर और पुनर्निर्माण कार्य कराए जाएंगे।
जिलाधिकारी ने किया निरीक्षण
जिलाधिकारी प्रतीक जैन ने स्पष्ट किया कि इस मार्ग को पूर्णतः सुचारु करने में समय लगेगा, क्योंकि यह कार्य विस्तृत भू-वैज्ञानिक परीक्षण, तकनीकी स्वीकृति तथा केंद्रीय स्तर पर बजट स्वीकृति से जुड़ा हुआ है।
हालांकि आगामी 2026 केदारनाथ यात्रा सीजन को ध्यान में रखते हुए प्रशासन का प्रयास रहेगा कि मार्ग पर आवश्यक अस्थायी सुधार एवं टेंपरेरी ट्रीटमेंट कर सड़क को उपयोग योग्य बनाया जाए।
उन्होंने संबंधित विभागों को निर्देशित किया कि सर्वे प्रक्रिया में किसी भी प्रकार की देरी न हो और सभी बिंदुओं का अध्ययन वैज्ञानिक एवं तकनीकी मानकों के अनुरूप समयबद्ध तरीके से पूरा किया जाए।
केदारनाथ यात्रा से पहले मरम्मत
जिलाधिकारी ने यह भी कहा कि सड़क सुरक्षा, ढलान-सुरक्षा, रिटेनिंग वॉल, ड्रेनेज व्यवस्था एवं कटाव रोकथाम कार्यों को प्राथमिकता में रखते हुए प्रोटेक्शन प्लान तैयार किया जाए।
उन्होंने बताया कि यात्रा सीजन में इस सड़क पर भारी ट्रैफिक लोड रहता है, ऐसे में प्रशासन के सामने चुनौती है कि सीमित समय में सुरक्षा की दृष्टि से उपयोगी और टिकाऊ समाधान तैयार किया जाए।
डीएम ने टीएचडीसी, एनएच तथा संबंधित अभियंताओं को निर्देश दिए कि भू-धंसाव प्रभावित क्षेत्र में सर्वे, सैंपलिंग, रॉक स्ट्रेंथ, हाइड्रोलॉजिकल विश्लेषण और पुराने जल स्रोतों की मैपिंग का कार्य शीघ्र पूर्ण किया जाए।
डीएम ने किया निर्देशित
निरीक्षण के दौरान जिलाधिकारी ने स्पष्ट कहा कि यह परियोजना केवल मरम्मत कार्य नहीं, बल्कि एक तकनीकी पुनर्निर्माण परियोजना के रूप में देखी जाए। प्रशासन का उद्देश्य है कि भविष्य में यात्रा सीजन या वर्षा काल में इस मार्ग पर दोबारा भू-स्खलन और सिंकिंग की स्थिति न बने तथा सड़क की सुरक्षा दीर्घकालिक बनी रहे।
इस दौरान जिलाधिकारी ने लोक निर्माण विभाग (लोनिवि) के अधिकारियों को जवाड़ी सड़क मार्ग पर भू-धंसाव प्रभावित हिस्सों का सही ढंग से फिलिंग कार्य कराने के भी निर्देश दिए।







