उत्तराखंड में कड़ाके की ठंड ने लोगों की मुश्किलें बढ़ा दी हैं। पर्वतीय अंचलों में इन दिनों हाड़ कंपा देने वाली सर्दी पड़ रही है, वहीं मैदानी क्षेत्रों में घना कोहरा लोगों की दिनचर्या को प्रभावित कर रहा है। लंबे समय से बारिश नहीं होने के कारण सूखी ठंड का असर और अधिक बढ़ गया है। ठंड से बचने के लिए लोग सुबह और शाम के समय अलाव का सहारा ले रहे हैं। कनकनी ठंड का असर बाजारों पर भी साफ दिखाई दे रहा है, जहां आम तौर पर सुबह सात बजे खुलने वाले बाजार अब दस बजे के बाद खुल रहे हैं।
मौसम विभाग के अनुसार आज 5 दिसंबर से प्रदेश के मौसम में बदलाव के आसार हैं। मौसम विज्ञान केंद्र देहरादून की ओर से जारी पूर्वानुमान के मुताबिक उत्तरकाशी, चमोली और पिथौरागढ़ के ऊंचाई वाले क्षेत्रों में कहीं-कहीं हल्की बारिश और बर्फबारी की संभावना जताई गई है। खासकर 3200 मीटर और उससे अधिक ऊंचाई वाले इलाकों में बर्फ गिर सकती है। हालांकि प्रदेश के शेष जनपदों में मौसम शुष्क बने रहने की संभावना है। फिलहाल बारिश और बर्फबारी को लेकर मौसम विभाग की ओर से कोई अलर्ट जारी नहीं किया गया है।
ठंड को देखते हुए मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने अधिकारियों को निर्देश दिए हैं कि सार्वजनिक स्थानों पर अलाव की समुचित व्यवस्था की जाए और सभी रैन बसेरों में सुविधाएं दुरुस्त रखी जाएं, ताकि जरूरतमंद लोगों को ठंड से राहत मिल सके।
राजधानी देहरादून की बात करें तो यहां आसमान मुख्यतः साफ से लेकर आंशिक रूप से बादलों से ढका रहने की संभावना है। अधिकतम तापमान करीब 24 डिग्री सेल्सियस और न्यूनतम तापमान लगभग 7 डिग्री सेल्सियस रहने का अनुमान है।
प्रदेश में बीते कुछ दिनों से आसमान में बादल और ठंडी हवाओं ने लोगों की परेशानियां और बढ़ा दी हैं। मैदानी क्षेत्रों में सुबह के समय घना कोहरा देखने को मिल रहा है, जिससे सड़कों पर वाहनों की रफ्तार भी धीमी पड़ गई है। पहाड़ी इलाकों में पाला पड़ने और मैदानी क्षेत्रों में सुबह-शाम कोहरा छाने से तापमान में लगातार गिरावट दर्ज की जा रही है।
कड़ाके की ठंड के कारण लोग घरों से बाहर निकलने से बच रहे हैं, जिसका सीधा असर बाजारों की रौनक पर पड़ रहा है। बाजारों में आम दिनों की तुलना में चहल-पहल काफी कम दिखाई दे रही है। वहीं काश्तकारों के लिए बारिश बेहद जरूरी मानी जा रही है। लंबे समय से वर्षा न होने से फसलें प्रभावित हो रही हैं, ऐसे में किसान बारिश की संभावना से फसल बेहतर होने की उम्मीद लगाए बैठे हैं।






