देहरादून: पर्यावरण के साथ नदियों की स्वच्छता को लेकर भी देशभर में यूं तो तमाम योजनाएं चल रही हैं लेकिन कई बार विभागों या आम लोगों का गैर जिम्मेदाराना रवैया इन योजनाओं पर पलीता लगा देता है. नमामि गंगा प्रोजेक्ट की समीक्षा बैठक में भी कुछ ऐसे ही मामले सामने आए हैं. जिसमें नगर निगम हरिद्वार, रुड़की और ऋषिकेश में सेप्टिक वेस्टेज को ठीक से डंप नहीं किया जा रहा. इससे पर्यावरण और नदियों की स्वच्छता पर खतरा मंडरा रहा है.
पर्यावरण के साथ नदियों की स्वच्छता को बनाए रखने के लिए अब सभी नगर निगम और पालिकाओं में सेप्टेज मैनेजमेंट प्रोटोकॉल को तैयार किया जाएगा. यही नहीं इनमें सेप्टेज मैनेजमेंट सेल का गठन करना भी अनिवार्य होगा. जिससे न केवल वेस्टेज की सही डंपिंग को लेकर एक पूरे प्रोटोकॉल का पालन हो सके बल्कि इसकी निगरानी के लिए भी उचित व्यवस्था हो सके. इसके लिए सभी नगर निगम और पालिकाओं को चरणबद्ध तरीके से इस प्रोटोकॉल और सेल के गठन के काम को पूरा करना होगा.
दरअसल यह पाया गया है कि कई जगह पर सेप्टिक वेस्टेज को ठीक से डंप नहीं किया जा रहा है. नगर निगमो में कई ऐसे वाहन है जिनका रजिस्ट्रेशन नहीं है. इसके बावजूद वह वेस्टेज को इधर उधर डालने का काम कर रहे हैं. इसके अलावा ऐसे भी कई वाहन है जिनका नगर निगम में रजिस्ट्रेशन तो हैं लेकिन उसमें GPS सिस्टम ही नहीं लगाया गया है. इतना ही नहीं इन वाहनों द्वारा नदियों या खुले में कचरा फेंका जा रहा है. जिससे पर्यावरण को नुकसान हो रहा है.
खास बात यह है कि ऐसी स्थितियों के कारण नदियों में सीवरेज ट्रीटमेंट प्लांट को भी नुकसान हो रहा है या ऐसे प्लांट अपना बेहतर प्रदर्शन नहीं दे पा रहे हैं. ऐसा इसलिए क्योंकि कई बार यह वाहन इस कचरे को सीधे नदियों में भी डालने का काम कर रहे हैं. इस तरह के मामले सामने आने के बाद अब इनकी निगरानी बढ़ाने के लिए एक पूरा सिस्टम तैयार करने पर विचार होने लगा है







