पंचकेदारों में तृतीय केदार के रूप में विश्व विख्यात भगवान तुंगनाथ की चल विग्रह उत्सव डोली शनिवार को विधि-विधान के साथ अपने शीतकालीन गद्दीस्थल मक्कूमठ में विराजमान हो गई है। डोली के आगमन पर चारों ओर भक्ति और उत्साह का अद्भुत संगम देखने को मिला।
श्रद्धालुओं में उत्साह, ग्रामीणों ने किया भव्य स्वागत
मक्कूमठ पहुँचने पर डोली का स्वागत पुष्प-वर्षा, अक्षत और जयकारों के बीच किया गया। भक्तों ने लाल-पीले वस्त्र अर्पित कर मनौतियाँ मांगी और क्षेत्र की खुशहाली की कामना की। विभिन्न राज्यों से पहुंचे श्रद्धालुओं द्वारा विशाल भंडारे का आयोजन किया गया।
प्रातः ब्रह्म बेला में पंचांग पूजन
शनिवार सुबह भनकुंड में विद्वान आचार्यों द्वारा पंचांग पूजन, अनेक वैदिक विधियों तथा
भगवान तुंगनाथ सहित तैंतीस कोटी देवताओं का आह्वान किया गया।
ठीक सुबह 10 बजे डोली शीतकालीन यात्रा पर मक्कूमठ के लिए रवाना हुई।
रास्ते में राकेश्वरी नदी तट पर—
✅ डोली व निशाणों ने गंगा स्नान किया
✅ स्थानीय ग्रामीणों ने विभिन्न पड़ावों पर भव्य स्वागत किया
मक्कूमठ में शुरू होगी शीतकालीन पूजा
डोली के गर्भगृह में विराजमान होने के साथ—
- अब शीतकाल के दौरान सभी पूजा-अर्चनाएँ यहीं संपन्न होंगी
- तीर्थयात्री मक्कूमठ में ही भगवान तुंगनाथ के दर्शन कर सकेंगे
मठापति राम प्रसाद मैठाणी ने पारंपरिक दान की प्रक्रिया निभाई, वहीं विद्वान आचार्यों ने
विशेष आरती कर भगवान का अभिषेक किया।
डोली प्रभारी और प्रबंधक ने दी जानकारी
डोली प्रभारी प्रकाश पुरोहित के अनुसार—
“कैलाश से मक्कूमठ आगमन पर मंदिर को विशेष और भव्य रूप से सजाया गया है।”
प्रबंधक बलवीर नेगी ने बताया—
“आज से मक्कूमठ में भगवान तुंगनाथ की शीतकालीन पूजा विधिवत प्रारंभ हो गई है।”
अप्रैल-मई में फिर खुलेंगे कपाट
शीत ऋतु समाप्त होने पर, अगले वर्ष अक्षय तृतीया पर तुंगनाथ धाम के कपाट पुनः खोले जाएंगे और भगवान की डोली वापस तुंगनाथ मंदिर में विराजमान होगी।







