नैनीताल: उत्तराखंड हाईकोर्ट ने 1550 एलटी शिक्षक भर्ती परीक्षा से संबंधित उत्तराखंड अधीनस्थ सेवा चयन आयोग (UKSSSC) की विशेष अपील पर आज सुनवाई की। यह मामला पिछले साल आयोजित भर्ती परीक्षा से जुड़ा है, जिसमें अभ्यर्थियों ने कुछ प्रश्नों को आउट ऑफ सिलेबस और उत्तरों को गलत बताते हुए चुनौती दी थी।
मुख्य न्यायाधीश जी. नरेंद्र और न्यायमूर्ति सुभाष उपाध्याय की खंडपीठ ने सुनवाई के दौरान आयोग और राज्य सरकार से विस्तृत स्थिति रिपोर्ट तलब की है। अदालत ने मामले की अगली सुनवाई की तिथि आगामी मंगलवार तय की है।
जांच में उजागर हुए तथ्य
एकलपीठ के आदेश को चुनौती देते हुए यूकेएसएसएससी ने खंडपीठ में स्पेशल अपील दायर की थी। एकलपीठ ने अपने आदेश में विवादित तीन प्रश्नों की जांच सीबीएसई और हेमवती नंदन बहुगुणा केंद्रीय विश्वविद्यालय के विशेषज्ञों से कराने का निर्देश दिया था।
विशेषज्ञों की जांच में पाया गया कि दो प्रश्न आउट ऑफ सिलेबस थे, जबकि एक प्रश्न के बी और सी दोनों उत्तर सही थे। रिपोर्ट के आधार पर आयोग ने दो प्रश्न हटाकर सभी अभ्यर्थियों को उसका लाभ देने का निर्णय लिया था।
जानिए, याचिका पर हाईकोर्ट ने क्या कहा
चयन आयोग ने बी और सी दोनों उत्तर सही वाले प्रश्न को लेकर हाईकोर्ट में स्पेशल अपील दायर की। आयोग का कहना था कि संबंधित प्रश्न का उत्तर सही था और जांच समिति का निर्णय गलत है, इसलिए उनकी अपील स्वीकार की जानी चाहिए।
वहीं, प्रभावित अभ्यर्थियों की ओर से कहा गया कि 1550 पदों में से 1351 पदों पर चयन प्रक्रिया पहले से जारी है। एकलपीठ ने अपने आदेश में स्पष्ट किया था कि यदि जांच समिति के निर्णय के आधार पर अभ्यर्थियों के उत्तर सही पाए जाते हैं, तो उन्हें भी मेरिट सूची में शामिल किया जाए। और यदि पद रिक्त न हों, तो उनके लिए नए पद सृजित किए जाएं।
कोर्ट की टिप्पणी
हाईकोर्ट ने मामले पर गंभीर रुख अपनाते हुए कहा कि आयोग को भर्ती परीक्षाओं में पारदर्शिता और निष्पक्षता बनाए रखनी चाहिए। न्यायालय ने आयोग और सरकार दोनों से विस्तृत रिपोर्ट पेश करने के निर्देश दिए हैं ताकि अगली सुनवाई में तथ्यों के आधार पर फैसला लिया जा सके।
अगली सुनवाई
मामले की अगली सुनवाई मंगलवार को होगी। अदालत आयोग और सरकार से प्राप्त रिपोर्टों की समीक्षा कर आगे की दिशा तय करेगी।
यह मामला राज्य की सबसे बड़ी शिक्षण भर्तियों में से एक है, इसलिए अभ्यर्थियों और शिक्षा विभाग — दोनों की निगाहें अब हाईकोर्ट के अगले निर्णय पर टिकी हैं।







