उत्तराखंड शासन ने सरकारी सेवकों की पदोन्नति प्रक्रिया को सरल, पारदर्शी और अधिक व्यवहारिक बनाने के लिए शिथिलता संबंधी नियमों में व्यापक बदलाव कर दिए हैं। कार्मिक एवं सतर्कता अनुभाग-2 द्वारा जारी ‘उत्तराखंड सरकारी सेवक पदोन्नति के लिए अधीनस्थ सेवा में शिथिलीकरण संशोधन नियमावली, 2025’ तत्काल प्रभाव से लागू हो गई है।
पदोन्नति में शिथिलता के नए प्रावधान
नई नियमावली उन विभागों के लिए राहत लेकर आई है, जहां पदोन्नति के लिए निर्धारित अनुभव अवधि पूरी न होने के कारण प्रमोशन सालों तक अटक जाते थे। अब—
- विभागाध्यक्ष न्यूनतम आवश्यक सेवा अवधि में से 50% तक शिथिलता दे सकेंगे।
- शिथिलता प्रदान करने का निर्णय विभागाध्यक्ष की अध्यक्षता वाली समिति की संस्तुति से ही होगा।
समिति के सदस्य होंगे:
- विभागाध्यक्ष (अध्यक्ष)
- नियंत्रक वित्त
- कार्मिक प्रतिनिधि
- विभागाध्यक्ष द्वारा नामित एक अधिकारी
उदाहरण से समझें नया नियम
दस्तावेज में दिए उदाहरण के अनुसार—
यदि किसी संवर्ग में उच्च पद पर पदोन्नति के लिए 18 वर्ष का सम्मिलित अनुभव आवश्यक है, लेकिन किसी अधिकारी की उपलब्ध सेवा 16 वर्ष है, तो:
- नई नियमावली के तहत 2 वर्ष की कमी को शिथिल किया जा सकेगा।
- यानी अब न्यूनतम सेवा अवधि से प्रोबेशन पीरियड कम किया जा सकेगा।
फिर भी यह सुनिश्चित करना अनिवार्य होगा कि अधिकारी ने अधीनस्थ पदों पर तय न्यूनतम सेवा पूरी की हो।
कहां लागू होंगे नए नियम?
- यह शिथिलता केवल वरिष्ठता-आधारित पदोन्नति वाले पदों पर लागू होगी।
- जहां उच्चतर पद के लिए विभिन्न श्रेणियों का सम्मिलित अनुभव अनिवार्य है, वहां भी 50% तक शिथिलता संभव है।
सरकार का उद्देश्य
शासन के अनुसार, इस संशोधित नियमावली के प्रमुख लक्ष्य हैं—
- पदोन्नति प्रक्रियाओं में बिना वजह होने वाली देरी को खत्म करना
- योग्य कर्मचारियों को समय पर प्रमोशन देना
- विभागों में वर्षों से लंबित पदोन्नति मामलों को गति देना
कार्मिक सचिव शैलेश बगौली ने इस संदर्भ में आदेश जारी कर दिए हैं।
कर्मचारियों और युवाओं दोनों को लाभ
इस संशोधन का व्यापक प्रभाव पड़ेगा—
- कर्मचारियों को समय से पदोन्नति मिल सकेगी।
- ऊपरी पद खाली होने पर नीचे की श्रेणियों में नए रिक्त पद तैयार होंगे, जिससे नई भर्ती संभव होगी।
- इससे युवा अभ्यर्थियों को सरकारी नौकरी के अधिक अवसर मिलेंगे।
नई नियमावली से उम्मीद जताई जा रही है कि राज्य सरकार के विभिन्न विभागों में अटकी पदोन्नति प्रक्रियाओं को अब तेजी मिलेगी और प्रशासनिक व्यवस्था अधिक सुचारू होगी।







