उत्तराखंड की राजधानी देहरादून में आयोजित तीन दिवसीय लिटरेचर फेस्टिवल में देश की कई प्रतिष्ठित हस्तियों ने शिरकत की। पहले दिन पूर्व मुख्य न्यायाधीश जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ और जया किशोरी जैसे चर्चित नामों ने कार्यक्रम को खास बनाया। दूसरे दिन मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने भी फेस्टिवल में पहुंचकर वेणु अग्रहरी ढींगरा की पुस्तक ‘लीडिंग लेडीज ऑफ इंडिया’ का विमोचन किया।
साहित्य समाज को दिशा देने की शक्ति रखता है — सीएम धामी
कार्यक्रम में मुख्यमंत्री धामी ने कहा कि साहित्य केवल अभिव्यक्ति ही नहीं, बल्कि समाज को संस्कार और दिशा देने का माध्यम भी है।
उन्होंने ‘लीडिंग लेडीज ऑफ इंडिया’ पुस्तक को महिलाओं और युवाओं की प्रेरणास्रोत बताते हुए कहा कि राज्य सरकार प्रधानमंत्री मोदी के नेतृत्व में महिलाओं को आत्मनिर्भर बनाने के लिए लगातार कार्य कर रही है।
महिला स्वयं सहायता समूहों के उत्पादों की मांग बढ़ रही है और बेटियां हर क्षेत्र में उल्लेखनीय योगदान दे रही हैं।
“उत्तराखंड की आत्मा उसकी संस्कृति में बसती है” — सीएम धामी
सीएम धामी ने कहा कि उत्तराखंड अपनी सांस्कृतिक परंपराओं के कारण विशिष्ट है।
उन्होंने बताया कि पिछले दो वर्षों से प्रवासी उत्तराखंडी सम्मेलन आयोजित किए जा रहे हैं ताकि लोगों को अपनी जड़ों से जोड़ा जा सके। इसके सकारात्मक परिणाम भी सामने आए हैं, कई प्रवासियों ने अपने गांवों और प्रदेश के विकास में सहयोग देने की इच्छा जताई है।
जया किशोरी ने कहा— अध्यात्म और सफलता एक-दूसरे के पूरक
लिटरेचर फेस्टिवल में शामिल जया किशोरी ने अपने विचार रखते हुए कहा कि कई समस्याएं तभी पैदा होती हैं जब लोग इंसानों को भगवान का दर्जा देने लगते हैं, जिससे अंधविश्वास बढ़ता है।
उन्होंने स्पष्ट कहा कि उनकी जिम्मेदारी केवल अपनी बातों की नीयत तक सीमित है, न कि लोग उन्हें किस रूप में देखते हैं।
जया किशोरी ने यह भी कहा कि—
- अध्यात्म और सफलता साथ-साथ चल सकते हैं,
- महत्वाकांक्षा किसी को कम आध्यात्मिक नहीं बनाती।
उनके विचारों ने युवाओं और श्रोताओं के बीच गहरा प्रभाव छोड़ा।
“देवभूमि साहित्य और संस्कृति की उर्वर भूमि रही है” — सीएम धामी
कार्यक्रम के बाद सीएम धामी ने कहा कि उत्तराखंड सदियों से साहित्य और संस्कृति का केंद्र रहा है।
महादेवी वर्मा, रवींद्रनाथ टैगोर और अन्य कई महान लेखकों ने यहां अपने महत्वपूर्ण रचनात्मक कार्य किए हैं।
उन्होंने कहा कि देहरादून में आयोजित यह फेस्टिवल—
- उभरते साहित्यकारों के लिए प्रेरणा बनेगा,
- उन्हें आगे बढ़ने के अवसर और मार्गदर्शन प्रदान करेगा।
देहरादून का यह लिटरेचर फेस्टिवल साहित्य, संस्कृति, अध्यात्म और सामाजिक जागरूकता के समन्वय का एक सशक्त मंच बनकर उभरा है, जिसने नई ऊर्जा और दिशा का संचार किया है।







