नैनीताल: उधम सिंह नगर जिले में आपदा पीड़ितों को बांटा जाने वाला 99 क्विंटल से अधिक अनाज खराब होने और जिलाधिकारी द्वारा आदेशित रिकवरी को जिलापूर्ति कमिश्नर द्वारा माफ किए जाने के मामले पर दायर जनहित याचिका में सोमवार को हाईकोर्ट में सुनवाई हुई। इस दौरान राज्य सरकार ने रिकवरी और संबंधित रिपोर्ट पेश करने के लिए अतिरिक्त समय मांगा। कोर्ट ने सरकार की मांग स्वीकार करते हुए आपूर्ति कमिश्नर को मंगलवार को वर्चुअली कोर्ट में पेश होने के आदेश दिए।
कोर्ट ने उठाए गंभीर सवाल
पिछली सुनवाई में खंडपीठ ने राज्य सरकार से पूछा था कि क्या खाद्य आपूर्ति कमिश्नर के पास रिकवरी माफ करने का कानूनी अधिकार है? साथ ही कोर्ट ने रिकवरी से संबंधित सभी फाइलों को सुरक्षित रखने के निर्देश दिए थे।
आज की सुनवाई में सरकार ने अदालत से रिकवरी के दस्तावेज और जांच रिपोर्ट पेश करने के लिए समय बढ़ाने का अनुरोध किया, जिस पर कोर्ट ने आपूर्ति कमिश्नर की वर्चुअल उपस्थिति अनिवार्य कर दी है।
मामला क्या है?
हरिद्वार निवासी अभिजीत की ओर से दायर जनहित याचिका में आरोप लगाया गया है कि वर्ष 2021 में सस्ता गल्ला योजना के तहत आपदा राहत के लिए भेजा गया 99 क्विंटल से अधिक राशन खराब होने के बावजूद वितरित नहीं किया गया।
याचिकाकर्ता का आरोप है कि:
- अनाज रख-रखाव के अभाव में सड़कर नष्ट हो गया,
- यह अनाज उधम सिंह नगर के आपदा पीड़ितों को दिया जाना था,
- जांच के बाद जिलाधिकारी ने दोषियों से रिकवरी का आदेश दिया,
- लेकिन खाद्य एवं आपूर्ति कमिश्नर ने इसे माफ कर दिया, जो प्रक्रिया के विपरीत है।
कड़ी कार्रवाई की मांग
याचिकाकर्ता ने हाईकोर्ट से मांग की है कि:
- सस्ता गल्ला राशन घोटाले की गहन जांच कराई जाए,
- दोषियों पर सख्त कार्रवाई हो,
- बर्बाद हुए अनाज और अन्य वित्तीय नुकसान की रिकवरी दोषियों से कराई जाए।
इस मामले में आज आपूर्ति कमिश्नर की वर्चुअल पेशी महत्वपूर्ण मानी जा रही है।







