देहरादून: राजधानी में अधिवक्ताओं का चैंबर निर्माण को लेकर विरोध लगातार उग्र होता जा रहा है। पिछले 11 दिनों से हरिद्वार रोड पर वकील धरने पर बैठे हैं, और इसी क्रम में बुधवार को धरने के 10वें दिन ओपन हाउस में सर्वसम्मति से संघर्ष समिति का गठन किया गया। बार एसोसिएशन की चयनित संघर्ष समिति ने जिला प्रशासन को मांगपत्र सौंपते हुए तेजी से समाधान की मांग की है। प्रशासन की ओर से कुछ बिंदुओं पर कार्रवाई का आश्वासन भी दिया गया है।
चैंबर निर्माण की मांग पर अड़े अधिवक्ता
अधिवक्ताओं का कहना है कि चैंबर निर्माण उनकी प्राथमिक आवश्यकता है और जब तक इस पर ठोस कदम नहीं उठाए जाते, आंदोलन जारी रहेगा। हरिद्वार रोड पर बड़ी संख्या में वकीलों की उपस्थिति उनकी एकजुटता और आंदोलन की गंभीरता को दर्शाती है।
संघर्ष समिति ने सौंपा 7 सूत्रीय ज्ञापन
संघर्ष समिति के अध्यक्ष प्रेमचंद शर्मा ने बताया कि 18 नवंबर को जिलाधिकारी को 7 प्रमुख मांगों वाला ज्ञापन सौंपा गया था। इसके जवाब में उसी शाम जिला प्रशासन की ओर से तीन अधिकारियों द्वारा हस्ताक्षरित आश्वासन पत्र प्राप्त हुआ, जिसमें कुछ मुद्दों पर सकारात्मक रुख जताया गया है।
जिला प्रशासन के आश्वासन
प्रशासन द्वारा दिए गए लिखित आश्वासन में कहा गया है कि—
- नए चैंबरों के निर्माण और पुनर्स्थापन होने तक किसी भी अधिवक्ता को अव्यवस्थित नहीं किया जाएगा, यानी मौजूदा व्यवस्था जस की तस बनी रहेगी।
- नई जिला जजी में चैंबर निर्माण पर लगने वाले विकास शुल्क की माफी के लिए उच्च स्तर पर प्रस्ताव भेजा जाएगा।
सीएम धामी से मुलाकात पर अड़े वकील
बुधवार को संघर्ष समिति की कार्यकारिणी की बैठक आयोजित की गई, जिसमें विशेष आमंत्रित सदस्यों ने भी हिस्सा लिया। बैठक के बाद समिति ने स्पष्ट निर्णय लिया कि जिला प्रशासन के पत्र पर विचार करने के बावजूद आंदोलन फिलहाल जारी रहेगा।
प्रेमचंद शर्मा ने कहा कि जब तक मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी के साथ संघर्ष समिति और बार एसोसिएशन पदाधिकारियों की सीधी और सार्थक बातचीत नहीं होती, आंदोलन नहीं रुकेगा।
समिति ने यह भी तय किया कि आंदोलन न तो स्थगित किया जाएगा, न ही समाप्त, जब तक ठोस समाधान सामने नहीं आता।
चैंबर निर्माण की मांग क्यों?
देहरादून बार लंबे समय से शहर की पुरानी जिला अदालत की खाली जमीन पर चैंबर निर्माण की मांग कर रहा है। प्रदेश बार एसोसिएशन भी इस आंदोलन के समर्थन में उतर चुका है।
वकीलों का कहना है कि जिला जज न्यायालय परिसर में रैन बसेरा बनाने की योजना अव्यवहारिक है, क्योंकि पहले से ही परिसर में वकीलों और कर्मचारियों की संख्या बहुत अधिक है और जगह कम पड़ रही है।
जिला जज न्यायालय परिसर में जगह की भारी कमी
देहरादून में करीब 5,000 एडवोकेट, 5,000 टाइपिस्ट और बड़ी संख्या में वेंडर मौजूद हैं। इसके साथ ही रोजाना भारी संख्या में वादकारी अदालत में आते-जाते हैं।
इस वजह से—
- अदालत परिसर में पर्याप्त स्थान नहीं बचा है,
- आवंटित भूमि चैंबर निर्माण के लिए अपर्याप्त हो गई है,
- इसलिए अधिवक्ताओं ने अतिरिक्त भूमि आवंटित करने की मांग की है,
- साथ ही सिविल कंपाउंड हरिद्वार रोड की जमीन को भी चैंबर निर्माण के लिए दिए जाने की मांग उठाई जा रही है।
देहरादून में चैंबर निर्माण को लेकर अधिवक्ताओं का यह आंदोलन अब निर्णायक दौर में प्रवेश करता दिख रहा है। वकीलों का रुख स्पष्ट है—जब तक समाधान नहीं, तब तक आंदोलन नहीं रुकेगा।







