देहरादून: उत्तराखंड की राजधानी देहरादून में पहली बार अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद (एबीवीपी) के राष्ट्रीय अधिवेशन का आयोजन किया जा रहा है। तीन दिवसीय इस 71वें राष्ट्रीय अधिवेशन की आज औपचारिक शुरुआत हो गई है, जिसमें देशभर से करीब 1500 प्रतिनिधि सहभागिता कर रहे हैं।
देहरादून के परेड ग्राउंड में आयोजित इस अधिवेशन में उत्तराखंड की समृद्ध सांस्कृतिक विरासत को प्रभावशाली तरीके से प्रस्तुत किया गया है। अधिवेशन परिसर में बदरीनाथ धाम और केदारनाथ धाम मंदिर की भव्य कलाकृतियां आकर्षण का मुख्य केंद्र बनी हुई हैं। इसके साथ ही उत्तराखंड के पारंपरिक व्यंजन, पारंपरिक पहनावा, लोककलाएं और हस्तशिल्प से जुड़े स्टॉल भी लगाए गए हैं, जिनमें बड़ी संख्या में लोग रुचि दिखा रहे हैं।
अधिवेशन में शामिल अन्य राज्यों से आए प्रतिनिधि, जो पहली बार उत्तराखंड पहुंचे हैं, यहां की संस्कृति, रंग-बिरंगी परंपराओं और कलाकृतियों से खासे प्रभावित नजर आ रहे हैं। नेपाल की रहने वाली प्रतिनिधि जमुना ने कहा कि वे पहली बार उत्तराखंड आई हैं और यहां की पारंपरिक संस्कृति व ट्रेडिशनल रंगों ने उन्हें बहुत प्रभावित किया है।
वहीं असम की रहने वाली शीतू ने बताया कि एबीवीपी का राष्ट्रीय अधिवेशन पहली बार उत्तराखंड में हो रहा है, जिसके चलते वे भी पहली बार इस अधिवेशन के लिए उत्तराखंड आई हैं। उन्होंने कहा कि उत्तराखंडी व्यंजन उन्हें काफी अधिक पसंद आए हैं। शीतू ने बताया कि वे भी पहाड़ी क्षेत्र से आती हैं और अधिवेशन में आने से पहले वे सबसे पहले हरिद्वार गईं, जहां उन्होंने गंगा स्नान किया। इसके बाद ऋषिकेश में गंगा आरती में भी शामिल हुईं। उन्होंने कहा कि असम में गंगा नहीं है, इसलिए गंगा स्नान और गंगा आरती में शामिल होना उनके लिए एक खास अनुभव रहा, जिसके लिए वे लंबे समय से इंतजार कर रही थीं।
शीतू ने आगे बताया कि अधिवेशन परिसर में उत्तराखंड संस्कृति से जुड़े लगाए गए स्टॉल में उन्होंने हस्तकला, पारंपरिक ड्रेस, ट्रेडिशनल ज्वेलरी और पहाड़ी व्यंजन समेत तमाम चीजों को करीब से देखा। जब वह आज सुबह कार्यक्रम स्थल पर पहुंचीं तो उनका स्वागत स्थानीय वाद्य यंत्रों, ढोल-नगाड़ों और स्थानीय नृत्य के माध्यम से किया गया, जिसे देखकर उन्हें बेहद अच्छा लगा। उन्होंने कहा कि असम में मां कामाख्या देवी का मंदिर है, जबकि उत्तराखंड में बदरीनाथ और केदारनाथ धाम जैसे विश्व प्रसिद्ध तीर्थ स्थल हैं।
वहीं केरल की रहने वाली अश्वनी ने कहा कि वे कैलाशी हैं और उत्तराखंड आकर उन्हें बहुत अच्छा महसूस हो रहा है। उन्होंने कहा कि यहां आकर उन्हें उत्तराखंड के तमाम रंगों और संस्कृति को देखने का अवसर मिला है। उन्होंने बताया कि परिसर में बदरीनाथ धाम और केदारनाथ धाम मंदिर की प्रतिमाएं लगाई गई हैं, जिससे उन्हें उत्तराखंड की आध्यात्मिक और सांस्कृतिक विरासत को नजदीक से जानने का मौका मिल रहा है।
अरुणाचल प्रदेश के रहने वाले चौटेवा मनंग ने कहा कि वे पहली बार उत्तराखंड आए हैं और यहां उत्तराखंड की संस्कृति को देख-समझ रहे हैं। उन्होंने बताया कि वे प्रदर्शनी का अवलोकन कर रहे हैं, जिसके माध्यम से उन्हें विभिन्न जानकारियां मिल रही हैं। उन्होंने कहा कि यहां की सभी चीजें सीखने योग्य हैं।
आयोजकों के अनुसार, इस राष्ट्रीय अधिवेशन के माध्यम से जहां छात्र संगठन से जुड़े अहम विषयों पर मंथन होगा, वहीं उत्तराखंड की सांस्कृतिक पहचान को राष्ट्रीय स्तर पर एक मजबूत मंच भी मिलेगा।







