उत्तराखंड में लगातार बढ़ते डेमोग्राफिक चेंज को लेकर सरकार अब पूरी तरह सख्त मोड में है। शहरी क्षेत्रों में बाहरी आबादी का दबाव तेज़ी से बढ़ रहा है, जिससे राज्य की सांस्कृतिक पहचान, सामाजिक ढांचा और संसाधन प्रभावित हो रहे हैं। फर्जी दस्तावेज़ बनवाने, राशन कार्ड और आधार कार्ड हासिल करने तथा सरकारी योजनाओं का गलत लाभ उठाने जैसे कई मामलों के उजागर होने के बाद सरकार ने बड़े पैमाने पर प्रशासनिक कार्रवाई शुरू कर दी है।
राज्यभर में वेरिफिकेशन ड्राइव — फर्जी दस्तावेज़ों की कड़ी जांच
राज्य सरकार ने डेमोग्राफिक बदलाव पर अंकुश लगाने के लिए कई मोर्चों पर सख्ती शुरू की है। सरकार की प्राथमिक कार्रवाई है राज्यव्यापी सत्यापन अभियान, जिसके तहत—
- राशन कार्डों की जांच
- आधार व अन्य पहचान पत्रों की जांच
- तीन साल में बने स्थाई निवास प्रमाणपत्रों का सत्यापन
- उत्तर प्रदेश से लगते क्षेत्रों में वोटर आईडी की विशेष जांच
लगातार ऐसी शिकायतें आ रही हैं कि दस्तावेजों में भारी गड़बड़ियां की गई हैं। कई अपात्र लोगों को पात्र घोषित कर दिया गया, जिसके चलते:
- फर्जी आधार कार्ड बने
- अनुचित तरीके से राशन कार्ड जारी हुए
- बिजली कनेक्शन दिलाए गए
- पहचान पत्र बना दिए गए
सरकार ने इन सभी मामलों की जांच के लिए प्रदेशभर में अधिकारियों को कड़ा निर्देश दिया है।
सीएम धामी का बयान — “डेमोग्राफिक बदलाव राज्य के लिए खतरा, सख्त कार्रवाई होगी”
मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी लगातार इस मुद्दे पर गंभीर रुख दिखा रहे हैं। उन्होंने कहा—
“उत्तराखंड में डेमोग्राफिक चेंज एक बड़ी चुनौती है। बाहरी आबादी के दबाव से राज्य की सांस्कृतिक पहचान और सामाजिक ढांचा प्रभावित हो रहा है। फर्जी दस्तावेज़ बनवाकर कई लोग गलत तरीके से सरकारी सुविधाएं ले रहे हैं। ऐसे सभी मामलों की जांच तेजी से चल रही है।”
— पुष्कर सिंह धामी, मुख्यमंत्री
सीएम धामी ने यह भी बताया कि कुछ शिकायतों में यह सामने आया है कि उत्तर प्रदेश सीमा से लगे जिलों में कई लोगों के दो-दो जगह वोटर आईडी कार्ड बने हुए हैं। इन क्षेत्रों में—
- उधमसिंह नगर
- चंपावत
- नैनीताल
- हरिद्वार
- देहरादून
- पौड़ी
—शामिल हैं, जहां विशेष सत्यापन अभियान चलाया जाएगा।
धामी ने आगे कहा—
“प्रदेश की डेमोग्राफी में बड़े पैमाने पर जो परिवर्तन दिख रहा है, वह बिल्कुल भी ठीक नहीं है। इस पर कड़ाई से नियंत्रण किया जाएगा। जिन्होंने अपात्र लोगों को पात्र श्रेणी में शामिल किया है, उन सभी पर जांच शुरू होगी और कार्रवाई आगे बढ़ेगी।”
फर्जी बस्तियां, नकली कागजात और संदिग्ध गतिविधियों पर कसा शिकंजा
राज्य सरकार पहले ही सख्त भू-कानून लागू कर चुकी है, साथ ही कालनेमि अभियान के जरिए अवैध बस्तियों और फर्जी दस्तावेज़ों पर प्रहार किया जा चुका है। अब देवभूमि परिवार योजना को भी मंजूरी मिल चुकी है, जिसके जरिए डेमोग्राफिक नियंत्रण को संस्थागत रूप दिया जाएगा।
सरकार का स्पष्ट संदेश — “उत्तराखंड की मूल पहचान बदली नहीं जाएगी”
मुख्यमंत्री धामी कई बार दोहरा चुके हैं कि किसी भी हालत में उत्तराखंड का सांस्कृतिक और सामाजिक संतुलन बिगड़ने नहीं दिया जाएगा। सरकार की इस सख्ती से यह संकेत साफ है कि आने वाले दिनों में वेरिफिकेशन और भी तेज़ होगा, और फर्जी दस्तावेज़ों के मामलों पर बड़ी कार्रवाई देखने को मिल सकती है।
डेमोग्राफिक चेंज रोकने के लिए यह अब तक की सबसे कड़ी और व्यापक सरकारी पहल मानी जा रही है।







