पौड़ी: उत्तराखंड के पौड़ी जिले में भालुओं का आतंक लगातार बढ़ता जा रहा है। जहां नवंबर-दिसंबर में भालू शीतनिद्रा में चले जाते हैं, वहीं इस साल स्थिति पूरी तरह उलट है। भालू गांवों के आसपास घूम रहे हैं, लोगों पर हमला कर रहे हैं और मवेशियों को भी मार रहे हैं। अब तक 12 लोग घायल, 1 की मौत और 53 मवेशियों का शिकार हो चुका है।
वन विभाग के अनुसार पैठाणी रेंज, कल्जीखाल और थलीसैंण क्षेत्रों में इस बार भालुओं की सक्रियता असामान्य रूप से बढ़ी है, जिससे ग्रामीणों में दहशत का माहौल बन गया है।
पैठाणी रेंज में बढ़ा खतरा
हाल ही में पैठाणी रेंज में भालू ने कई मवेशियों पर हमला कर दिया। कुछ मवेशी गंभीर रूप से घायल हुए और कुछ की मौत भी हो गई।
स्थिति को देखते हुए वन विभाग ने एक विशेष टीम तैनात की, जो लगातार गश्त कर रही है। टीम को ट्रेंकुलाइज उपकरणों से लैस किया गया था। कुछ समय तक भालू शांत रहा, लेकिन कुछ दिनों बाद फिर उसकी मौजूदगी दर्ज की गई।
थलीसैंण में दहशत का माहौल
थलीसैंण क्षेत्र में भी भालू की आवाजाही बढ़ गई है। ग्रामीण सुबह-शाम खेतों में काम करने या जंगल जाने से डरते हैं।
घास, चारा-पत्ती, जलावन लकड़ी आदि लाने के लिए लोग अब जंगल में जाने से कतराते हैं।
सर्दियों से पहले खेतों के जरूरी काम भी अब चुनौती बन गए हैं।
डरा रहे भालू के हमले के आंकड़े
जनवरी 2025 से 20 नवंबर 2025 तक—
- 12 लोग घायल
- 1 व्यक्ति की मौत
- 53 मवेशियों का शिकार
ये आंकड़े बताते हैं कि हालात किस कदर खतरनाक हो चुके हैं।
पहले कभी नहीं बने ऐसे हालात — वन संरक्षक आकाश वर्मा
गढ़वाल वृत्त के वन संरक्षक आकाश वर्मा बताते हैं—
“बीते सालों में पौड़ी जिले में इस तरह की स्थिति कभी नहीं बनी। नवंबर-दिसंबर में भालू हमेशा घने जंगलों में छिपे रहते थे, लेकिन इस साल पिछले दो महीनों में भालू की गतिविधियां तेजी से बढ़ी हैं। पैठाणी रेंज, थलीसैंण और कल्जीखाल क्षेत्रों से लगातार भालू देखे जाने की शिकायतें मिल रही हैं।”
वन विभाग का कहना है कि जहां भी भालू देखे जाने की सूचना मिली, वहां तुरंत टीमें भेजी गईं और उन्हें आबादी क्षेत्र से दूर हटाने की कोशिश की गई।
भोजन की तलाश में गांव पहुंच रहे भालू
वन अधिकारियों का कहना है कि कई बार भालू भोजन की तलाश में गांवों की ओर आ जाते हैं, जिससे टकराव की स्थिति पैदा होती है।
टीमें लगातार गश्त कर रही हैं ताकि भालू की मूवमेंट पर नजर रखी जा सके और ग्रामीणों की सुरक्षा सुनिश्चित की जा सके।
साथ ही प्रभावित और संभावित क्षेत्रों में लोगों को जागरूक किया जा रहा है।
भालू से बचाव के तरीके
- जंगल में जाते समय सावधानी बरतें
- अकेले न जाएं, समूह में जाएं
- रास्ते में शोर करते रहें
- हाथ में लाठी या मजबूत लकड़ी रखें
- भालू दिखने पर तुरंत वन विभाग को सूचना दें
जिवई गांव में भालू के हमले में महिला गंभीर रूप से घायल
17 नवंबर को बीरोंखाल ब्लॉक के जिवई गांव में घास काटने गई लक्ष्मी देवी (40 वर्ष) पर झाड़ियों में छिपे भालू ने अचानक हमला कर दिया।
हमले में उनकी दाईं आंख और सिर पर गंभीर चोटें आईं। हमला इतना तेज था कि वह कुछ देर तक उठ भी नहीं पाईं।
घायल लक्ष्मी देवी की चीख सुनकर बाकी महिलाओं ने शोर मचाया, जिससे भालू भाग गया।
ग्रामीण मौके पर पहुंचे और उन्हें तुरंत सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र बीरोंखाल ले जाया गया, जहां से उनकी गंभीर हालत देखते हुए हायर सेंटर रेफर कर दिया गया।

लोगों को सुरक्षित रखने के लिए उठाए जा रहे कदम
वन विभाग के अनुसार जिन क्षेत्रों में भालू का आतंक है, वहां लोगों की सुरक्षा के लिए हर संभव कदम उठाए जा रहे हैं।
टीमों की तैनाती बढ़ाई गई है, गश्त तेज की गई है और अधिकारियों का कहना है कि विभाग का उद्देश्य भालू को नुकसान पहुंचाना नहीं, बल्कि इंसान और वन्यजीव के बीच टकराव रोकना है।
पहाड़ी इलाकों में नई चुनौती
पौड़ी जिले के पर्वतीय क्षेत्रों में भालू की बढ़ती सक्रियता स्थानीय निवासियों के लिए नई चुनौती बन गई है।
वन विभाग उम्मीद कर रहा है कि ठंड बढ़ने पर भालू अपने प्राकृतिक आवास यानी जंगलों में लौट जाएंगे, लेकिन तब तक ग्रामीणों को सतर्क रहने की जरूरत है।








