पौड़ी जिले के डोभाल ढांडरी और कोटी गांव क्षेत्र में एक गुलदार वन विभाग द्वारा लगाए गए पिंजरे में कैद हो गया। सूचना मिलते ही वन विभाग की टीम मौके पर पहुंची और गुलदार को सुरक्षित रेस्क्यू कर नागदेव रेंज पौड़ी पहुंचाया गया, जहां पशु चिकित्सक द्वारा उसका स्वास्थ्य परीक्षण किया जा रहा है। स्वास्थ्य परीक्षण के बाद उच्चाधिकारियों के निर्देश पर आगे की कार्रवाई अमल में लाई जाएगी।
बीते कुछ दिनों से डोभाल ढांडरी और कोटी क्षेत्रों में गुलदार की बढ़ती गतिविधियों के चलते ग्रामीणों में भारी दहशत का माहौल बना हुआ था। लोगों की सुरक्षा को देखते हुए पौड़ी वन विभाग द्वारा विशेष अभियान चलाया जा रहा है। इसके तहत अलग-अलग टीमों का गठन कर क्षेत्र में ट्रैप कैमरे लगाए गए हैं और लगातार गश्त भी की जा रही है। इसके साथ ही गुलदार को पकड़ने के लिए विभिन्न स्थानों पर पिंजरे लगाए गए थे, जिनमें से एक पिंजरा कोटी गांव के पास लगाया गया था, जिसमें आज गुलदार फंस गया।
गुलदार के पकड़े जाने के बाद ग्रामीणों ने राहत की सांस ली है, लेकिन अब भी क्षेत्र में गुलदार की गतिविधियां जारी रहने से वन विभाग के लिए चुनौती कम नहीं हुई है। ग्रामीणों का कहना है कि जब तक क्षेत्र पूरी तरह सुरक्षित नहीं हो जाता, तब तक वन विभाग को सतर्कता और निगरानी बढ़ानी होगी।
रेंजर पौड़ी दिनेश नौटियाल ने जानकारी देते हुए बताया कि कोटी क्षेत्र के समीप दो पिंजरे लगाए गए थे, जिनमें से एक पिंजरे में गुलदार कैद हुआ है। गुलदार की उम्र लगभग चार वर्ष आंकी गई है। पशु चिकित्सकों की टीम द्वारा इसका स्वास्थ्य परीक्षण किया जा रहा है और रिपोर्ट के बाद उच्चाधिकारियों के आदेशानुसार आगे की कार्रवाई की जाएगी।
गौरतलब है कि कोटी गांव में एक महिला की मौत के बाद गुलदार को आदमखोर घोषित कर उसे शूट करने के आदेश पहले ही जारी किए जा चुके हैं। वहीं डोभाल ढांडरी क्षेत्र में एक महिला पर हमले के बाद वहां भी निगरानी और पिंजरे लगाने की गतिविधियां तेज कर दी गई हैं। वन विभाग ने स्पष्ट किया है कि मनुष्य की सुरक्षा सर्वोच्च प्राथमिकता है।
जंगल से सटे गांवों में सुरक्षा व्यवस्था और कड़ी कर दी गई है। स्कूल आने-जाने वाले बच्चों और जंगल की ओर घास-लकड़ी लेने जाने वाली महिलाओं को वन विभाग की टीम की निगरानी और सुरक्षा के साथ भेजा जा रहा है। इसके साथ ही ग्रामीणों से अपील की गई है कि वे अकेले जंगल या सुनसान रास्तों पर न जाएं।
स्थानीय लोग अब भी दहशत में हैं, क्योंकि ग्रामीणों के अनुसार क्षेत्र में एक से अधिक गुलदार सक्रिय हो सकते हैं। इसी आशंका को देखते हुए वन विभाग ने ट्रैप कैमरों और गश्त को और तेज कर दिया है, ताकि यह स्पष्ट हो सके कि पकड़ा गया गुलदार ही हमलों के लिए जिम्मेदार था या नहीं। गुलदार के कैद होने से भले ही क्षेत्र में कुछ हद तक राहत मिली हो, लेकिन खतरा अभी पूरी तरह टला नहीं है। वन विभाग और ग्रामीणों की एक ही कोशिश है कि मानव जीवन सुरक्षित रहे और भविष्य में किसी भी अप्रिय घटना को रोका जा सके।







