लक्सर:चार विश्व रिकॉर्ड समेत कुल सात बड़े रिकॉर्ड अपने नाम दर्ज करने वाले दिव्यांग खिलाड़ी दिग्विजय सिंह का चयन राज्य पुरस्कार के लिए किया गया है। विश्व दिव्यांग दिवस 3 दिसंबर के अवसर पर राज्य सरकार द्वारा उन्हें सम्मानित किया जाएगा। लक्सर तहसील क्षेत्र के दाबकी कला गांव निवासी दिग्विजय सिंह ने अपनी असाधारण प्रतिभा और दृढ़ इच्छाशक्ति से न केवल राज्य बल्कि देश का भी मान बढ़ाया है।
स्वरोजगार के क्षेत्र में मिलेगा पुरस्कार, कई लोगों को देते हैं रोजगार
विश्व दिव्यांग दिवस के अवसर पर राज्य सरकार द्वारा सम्मानित किए जाने वाले दिव्यांगों की सूची जारी कर दी गई है, जिसमें दाबकी कला निवासी स्वर्गीय जितेंद्र कुमार के पुत्र दिग्विजय सिंह का नाम भी शामिल है। दिग्विजय को यह राज्य पुरस्कार स्वरोजगार के क्षेत्र में उत्कृष्ट कार्य के लिए दिया जा रहा है। वह अपनी पत्नी के साथ मिलकर स्वयं का व्यवसाय संचालित करते हैं, जिससे कई लोगों को रोजगार मिलता है और अनेक परिवार लाभान्वित हो रहे हैं।
पहले भी मिल चुका है राज्य पुरस्कार
दिग्विजय सिंह को इससे पहले भी दक्ष दिव्यांग खिलाड़ी के रूप में राज्य पुरस्कार से सम्मानित किया जा चुका है। ग्रैंड मास्टर की उपाधि से अलंकृत दिग्विजय, दोनों पैरों से दिव्यांग होने के बावजूद एथलेटिक्स और मोटर स्पोर्ट्स में अपनी असाधारण उपलब्धियों के लिए जाने जाते हैं। उन्होंने मोटर स्पोर्ट्स और बाइक राइडिंग में दो इंडिया रिकॉर्ड, एक एशियाई रिकॉर्ड और चार विश्व रिकॉर्ड सहित कुल सात रिकॉर्ड अपने नाम दर्ज कराए हैं।
दिग्विजय सिंह की प्रमुख उपलब्धियां
- 2020 में राष्ट्रीय स्तर पर आयोजित गम्बाल इंडिया 2020 रैली में कन्याकुमारी से आगरा तक 3,000 किलोमीटर की दूरी 58 घंटे में पूरी की, जबकि तय समय 60 घंटे था।
- 2021 में गुजरात के कोटेश्वर धाम से अरुणाचल प्रदेश के चीन सीमा स्थित अंतिम गांव काहो तक 4,000 किलोमीटर की कार रेस 76 घंटे में पूरी की, जिसे वर्ल्ड रिकॉर्ड में शामिल किया गया।
- 5-6 मार्च 2022 को मध्य प्रदेश के इंदौर में मालवा मोटर स्पोर्ट्स क्लब की कार रेस में 1200 सीसी डीजल कार से 4 मिनट 58 सेकंड में रेस पूरी कर प्रथम स्थान हासिल किया। इस उपलब्धि को इंडिया बुक ऑफ रिकॉर्ड में दर्ज किया गया।
प्रेरणा बने दिग्विजय सिंह
दिग्विजय सिंह की यह उपलब्धियां न केवल दिव्यांगजनों बल्कि युवाओं के लिए भी प्रेरणास्रोत हैं। कठिन परिस्थितियों के बावजूद उन्होंने यह सिद्ध कर दिया है कि मजबूत इच्छाशक्ति के आगे कोई भी बाधा बड़ी नहीं होती।







