उत्तराखंड की राजधानी देहरादून में आयोजित अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद (एबीवीपी) के 71वें राष्ट्रीय अधिवेशन का भव्य समापन हो गया। परेड ग्राउंड में तीन दिन तक चले इस अधिवेशन के दौरान शिक्षा, जनसांख्यिकीय ताकत, समाज परिवर्तन और बांग्लादेशी घुसपैठ जैसे गंभीर राष्ट्रीय मुद्दों पर व्यापक मंथन हुआ। अधिवेशन के अंत में संगठन और राष्ट्रहित से जुड़े कुल पांच प्रमुख प्रस्ताव पारित किए गए।
देशभर से 1,211 प्रतिनिधियों की रही सहभागिता
देहरादून के परेड ग्राउंड में तीन दिन तक चले इस राष्ट्रीय अधिवेशन में तमिलनाडु, जम्मू-कश्मीर, गुजरात, पूर्वोत्तर राज्यों सहित देश के सभी राज्यों से कुल 1,211 प्रतिनिधि शामिल हुए। अधिवेशन के विभिन्न सत्रों में संगठनात्मक विकास, शैक्षिक नीतियों, छात्र हित, सामाजिक और सांस्कृतिक विषयों पर गंभीरता से विचार-विमर्श किया गया और कई महत्वपूर्ण निर्णय लिए गए।
चार प्रस्तावों में संशोधन कर किए गए पारित
एबीवीपी के राष्ट्रीय महामंत्री डॉ. वीरेंद्र सिंह सोलंकी ने जानकारी देते हुए बताया कि अधिवेशन में देशभर से आए प्रतिनिधियों के सुझावों के अनुरूप चार प्रमुख प्रस्तावों में संशोधन कर उन्हें सर्वसम्मति से पारित किया गया। इनमें—
- पर्याप्त वित्तीय आवंटन के साथ सभी शैक्षणिक संस्थाओं को एक समान संरचना के तहत लाने की आवश्यकता,
- बांग्लादेशी घुसपैठ को राष्ट्रीय सुरक्षा एवं लोकतांत्रिक व्यवस्था के लिए गंभीर चुनौती के रूप में चिन्हित करना,
- मानवीय क्रियाकलापों से उत्पन्न प्राकृतिक आपदाओं के निवारण में समाज की भूमिका,
- विभाजनकारी ताकतों के खिलाफ संगठित समाज के समाधान
जैसे विषय प्रमुख रूप से शामिल हैं।
— डॉ. वीरेंद्र सोलंकी, राष्ट्रीय महामंत्री, एबीवीपी
समाज परिवर्तन का वाहक बने युवा पर भी प्रस्ताव
डॉ. वीरेंद्र सोलंकी ने बताया कि इसके साथ ही “समाज परिवर्तन का वाहक बने युवा” विषय पर आधारित प्रस्ताव को 27 नवंबर को हुई राष्ट्रीय कार्यकारिणी परिषद की बैठक में पहले ही पारित किया जा चुका है, जिसे इस अधिवेशन में भी समर्थन मिला।
रानी अब्बक्का प्रदर्शनी बनी आकर्षण का केंद्र
डॉ. सोलंकी ने बताया कि अधिवेशन प्रांगण में आयोजित रानी अब्बक्का प्रदर्शनी में अधिवेशन में आए प्रतिनिधियों को संगठन की गतिविधियों, स्वतंत्रता संग्राम, संस्कृति संरक्षण और विद्यार्थी परिषद के 77 वर्षों के कार्यों की समृद्ध झलक दिखाई गई। इस प्रदर्शनी में उत्तराखंड के गौरवशाली इतिहास और यहां की लोक परंपराओं को भी विशेष रूप से दर्शाया गया।
बांग्लादेशियों की घुसपैठ पर जताई चिंता
अधिवेशन में प्रतिनिधियों को देशभर में विद्यार्थी परिषद द्वारा आयोजित कार्यक्रमों, गतिविधियों, आंदोलनों और 76 लाख से अधिक सदस्यता के आंकड़ों की भी विस्तृत जानकारी दी गई। डॉ. सोलंकी ने बताया कि इसी अधिवेशन में यह निर्णय लिया गया कि बांग्लादेशी घुसपैठ के कारण लोकतांत्रिक व्यवस्था प्रभावित हो रही है, जिस पर तत्काल प्रभाव से ठोस कार्रवाई की जरूरत है। उन्होंने कहा कि जिन अंतरराष्ट्रीय सीमाओं पर अब तक तार फेंसिंग नहीं हुई है, वहां अति शीघ्र तार फेंसिंग की जानी चाहिए, ताकि अवैध घुसपैठ पर प्रभावी रोक लगाई जा सके।
देशभर में छात्रावास सर्वेक्षण अभियान चलाएगा एबीवीपी
डॉ. वीरेंद्र सोलंकी ने यह भी बताया कि आगामी दिनों में एबीवीपी देशभर में छात्रावास सर्वेक्षण अभियान चलाएगा। इस अभियान के तहत सभी प्रकार के छात्रावासों का व्यापक सर्वेक्षण किया जाएगा, जिससे छात्रों की मूलभूत सुविधाओं, सुरक्षा, स्वच्छता और व्यवस्थाओं की स्थिति का आंकलन किया जा सकेगा।
इसके साथ ही महारानी अब्बक्का की 500वीं जयंती वर्ष के अवसर पर देशभर के विभिन्न शैक्षणिक परिसरों में प्रदर्शनियों और विशेष कार्यक्रमों का आयोजन किया जाएगा, ताकि युवाओं को उनके साहस, शौर्य और राष्ट्रभक्ति से प्रेरणा मिल सके।
अधिवेशन में पारित सभी प्रस्तावों के माध्यम से एबीवीपी ने शिक्षा व्यवस्था को मजबूत करने, सामाजिक एकता को सुदृढ़ करने, राष्ट्र विरोधी गतिविधियों के खिलाफ समाज को जागरूक करने और प्राकृतिक आपदाओं से निपटने में सामाजिक सहभागिता बढ़ाने का संकल्प दोहराया।
तीन दिन तक चले इस राष्ट्रीय अधिवेशन को संगठन के इतिहास का एक महत्वपूर्ण पड़ाव बताते हुए एबीवीपी नेतृत्व ने इसे राष्ट्र निर्माण में युवाओं की भूमिका को और सशक्त करने वाला बताया।







