मुख्य विशेषताएँ:
- देवभूमि की परंपरा: उत्तराखंड के गाँवों और पहाड़ी इलाकों में दीपावली केवल रोशनी का पर्व नहीं, बल्कि धार्मिक आस्था और लोक-संस्कृति का संगम होती है। लोग माँ लक्ष्मी, भगवान गणेश और कुबेर की पूजा के साथ अपने घरों की साफ-सफाई और सजावट करते हैं।
- झिलमिलाते दीये: देहरादून, नैनीताल, हरिद्वार, अल्मोड़ा, और पिथौरागढ़ जैसे शहरों में लोगों ने तेल के दीयों से अपने घरों और मंदिरों को जगमगाया।
- पटाखों की गूंज और संगीत: शाम होते ही बच्चे और युवा पटाखे जलाकर खुशी मनाते हैं। कई स्थानों पर सांस्कृतिक कार्यक्रम, भजन संध्या और दीपदान आयोजन भी हुए।
- विशेष पकवान: पारंपरिक मिठाइयाँ जैसे बाल मिठाई, सिंघौड़ी, गुजिया और जलेबी लोगों ने एक-दूसरे को बांटकर मिठास बढ़ाई।
- हरिद्वार की गंगा आरती: हरिद्वार में दीपावली की संध्या पर गंगा तट पर हजारों दीप जलाए गए, जिससे पूरा वातावरण भक्ति और शांति से भर गया।
दीपावली के इस पर्व ने उत्तराखंड की वादियों में न सिर्फ रौशनी बिखेरी, बल्कि आपसी प्रेम, एकता और सद्भाव का संदेश भी दिया।







